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Monday, June 11, 2012

रौलबैक से बेहतर हैं टिशु पेपर



सरकार ने पेट्रोल की कीमतें बढाई तो बेचारे दो पहिया वाहन वालों की पैबंद लगी जेबें और दिल भक्क से जल उठे |डीजल से चलने वाली लक्जरी गाड़ी में चलने वाले नवधनाढ्यों  को मौका मिला तो वे इनकी बेचारगी पर खिलखिला कर हंस दिए |ये तबका स्वभावतः बड़ा  हंसोड़ होता है |वे  हर मुद्दे  को अपनी राल में लिपटी हंसी से  किसी कनकौए की तरह हवा में उड़ा देते हैं |दो पहिया वाहन वाले सदैव इनके निशाने पर होते हैं |पेट्रोल के दाम तो बढते  रहते हैं और इनको हँसने के लिए मुद्दों की कभी कमी नहीं पड़ती |पिछले कई सालों से  यह सिलसिला जारी है |

दो पहियाधारी आमतौर से  निम्न मध्यवर्गीय शहरी होते हैं |इनके चेहरे पर टिकी  घड़ी सदैव बारह ही बजाती हैं |इन्हें हंसना आता ही नहीं, बस चिढ़ना  आता है |इनकी  मौसम से तो पुरानी लांगडांट है |इनका मानना है कि गर्मी में  सूरज केवल इनपर अंगारे बरसाता है |बादल जानइबूझ कर तभी बरसते हैं, जब ये बेहतरीन पोषाक पहन कर निकलते हैं |ठंडी हवाएं केवल इनके  धैर्य को चुनौती देती हैं |पुलिस केवल इनसे ही ट्रेफिक  कानूनों का पालन करवाना चाहती है |इनके साथ  पक्षपात होता है |सरकार  बस इनसे ही अदावत रखती हैं कि केवल पेट्रोल के दाम बढाती  है |सरकार का यह बयान उन्हें बहुत चुभता है कि ये गरीब मुल्क पेट्रोल पर सबसिडी का भार नहीं सह सकता |वे ये समझने में असमर्थ हैं कि जो मुल्क डीजल  सब्सिडी से लेकर मंत्रियों संतरियों की फ़िज़ूलखर्ची  और अरबों खरबों रुपयों के घोटालों का भार सहर्ष  उठा सकता है ,वह पेट्रोल के मामले में इतना पूर्वाग्रही क्यों है  |

 दोपहिया वाहन वाले तो हंसना कब का भूल चुके  हैं |वे  सुबह सवेरे किसी लाफ्टर क्लब में इसलिए जाते  हैं कि  कभी दैवयोग से हँसने का मौका आया  तो वे  तब तक  कहीं हँसने ही न भूल जाये |वैसे सरकार भी इनकी  सुध कभीकभार ले लेती है |वो पेट्रोल के दाम  मुक्तहस्त से   बढाती है फिर उसे थोड़ा-सा घटा देती   है | रोलबैक के ये बासी गोलगप्पे अब किसी का दिल जीतने के लिए नाकाफी साबित  होते हैं |पर सरकार भी क्या करे ,उसके नीतिनिर्धारकों और अर्थशास्त्रियों को इसके सिवा कोई व्यंजन बनना और परोसना  आता नहीं | इससे बेहतर तो यह होगा कि सरकार पेट्रोल से वाहन चलाने वालों को कुछ टिशु पेपर दे दे, जिससे वे  अपने आंसू पोछ सकें |आंसू बहाना इनकी नियति है और आंसू पोंछना संवेदनशील सरकार का गुरुतर दायित्व |वैसे भी टिशु पेपर बड़े काम का होता है, इससे केवल आँख के आंसूओं को ही नहीं पोंछा जाता  |इन  पर दिल की भड़ास निकलने के लिए शोकगीत लिखे जा सकते हैं |

सबको पता था कि सरकार  रोलबैक करेगी | जनता के हितों के प्रति जागरूकता दिखाने का मौका वह कैसे चूकती | इसके ज़रिये उसने  मानवीय  चेहरा अवश्य उजागर  कर दिया   |यह अलग बात है कि  दोपहियावाहन वालों को वह रिझा न सकी  |वे  सरकार से कुछ इस कदर  चिढे  हैं कि इन्हें रोलबैक हो या रॉक -एन -रौल कुछ  नहीं सुहाता  |फिलहाल तो इन्हें अपनी खाख हो चुकी जेब को दुरुस्त करवाने के लिए एक अदद निपुण रफूगर की शिद्दत से तलाश है |

 

 

 

 

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